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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की गर्मी के मध्य एक बार फिर कट्टर आतंकवाद की जड़ें कितनी गहरी हो चुकीं हैं यह देखने को मिला | इस्लामिक-आतंकवाद ने समूचे विश्व में कहर बरपा रखा है मध्य-पूर्व में दायेश , नाइजीरिया में बोको-हराम तो सोमालिया में अल-शबाब को रोक पाने में कोई नीति कामयाब नहीं हो पा रही है | अमेरिका के ओरलांडो नगर के एक क्लब में अफ़ग़ान-मूल के ओमर मातीन ने उसी विचारधारा से प्रवाहित होकर एक विशेष समुदाय के निर्दोष लोगों से उनकी जिंदगी छीन ली जिस विचारधारा के कारण कुछ माह पूर्व एक मुस्लिम दम्पति ने अमेरिका के ही सैन डिएगो शहर में 14 लोगों को मौत के घाट उत्तार दिया था | यह व्यक्ति केवल २९ वर्ष का था, लेकिन इसने अपने भविष्य व अपनी जिंदगी देने में भी कोई संकोच नहीं किया| राजनीति के मौस्सम में इस विषय पर राजनीति होनी तो स्वाभाविक ही थी , रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार व विवादित व्यापारी डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा ,” अच्छा लगा कि मेरा कहना सही था कट्टर इस्लाम आतंकवाद की प्रमुख वजह है, लेकिन मैं वधाई नहीं चाहता मुझे सख्त कार्यवाही दिखनी चाहियें|” उन्होंने अपने एक और ट्वीट में कहा की अब राष्ट्रप्रति ओबामा इसे इस्लामी-आतंकवाद कहेंगे या नहीं? यदि वह नहीं कहते उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिये|डोनाल्ड ट्रम्प इससे पूर्व मुस्लिमों को अमेरिका में प्रवेश नहीं मिलना चाहिये वाले बयान को लेकर विवादों में फंसे थे | लेकिन सवाल तो ये है कि यह व्यक्ति न तो कोई पर्यटक था न ही कोई शरणार्थी जिसने यह कांड किया; यह तो अमेरिका का ही नागरिक था फिर ऐसीं परिस्थियों से आप कैसे निपटेंगे ? आप पूरे मुस्लिम समुदाय पर प्रतिबंध तो नहीं लगा सकते |? दरअसल, विचारधारा का विनाश ही ऐसी मुसीबतों से हमें छुटकारा दिला सकता है| इस्लामिक स्टेट की पहुँच लघभग आधे विश्व पर हो गयी है पेरिस और ब्रुसल्लेस में जिस तरह का नरसंहार हुआ उसने मानवीय मूल्यों की तिलांजली दे दी | बांग्लादेश में जिस तरह से स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्तियों की हत्याएं हो रहीं हैं उसने दायेश का कार्य आसान कर दिया है| कुछ मदरसों में कोमल मस्तिष्कों में जिस तरह से कट्टरता भरी जा रही है उसके ये परिणाम आने स्वाभाविक ही हैं, इन मदरसों की माली हालत को सुधार पड़ेगा व उन कट्टर इमामों को वहां से निकलना पड़ेगा तभी ऐसे मुस्सिबतों से निपट सकतें हैं |
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