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पर्यटन के लिहाज से भारत विश्व में अग्रिणी देश है पूर्वोत्तर भारत का उसमें मुख्य स्थान है मेघालय को “बादलों का वास” के नाम से जाना जाता है खैर हिंदी समझने वाला जनमानस इसके नाम से ही समझ जायेगा ,पर्यटन के से ये राज्य भी बाकि अन्य पूर्वोतर भारत के राज्यों की तरह ही प्राकिर्तिक सुन्दरता से परिपूर्ण है पश्चिमी जैंतिया की पहाड़ियां तो खूबसूरती के साथ कोयला का सबसे बडे उत्पादक है ,बेहद आकर्षक उमैम झील से लेकर नोक्रेक राष्ट्रीय उद्यान राज्य को खूबसूरती प्रदान करते हैं ,आज हमारे वैज्ञानिक मंगल तक पहुच चुके हैं यह अब कोई अनोखी बात नही है लेकिन प्रकृति की अनोखी रचना देखिये यहां पूर्वी जैंतिया की पहाड़ियों के साथ एक नदी बहती है लुखा नदी जो ऋतू के बदलने के साथ ही अपना रंग बदलती है यह एक रोचक घटना है लेकिन दुर्भाग्य से इससे कई मछलियों की जान चली जाती है लेकिन असल में ऐसी को प्रकिर्तिक घटना नहीं है यह दरअसल अवैज्ञानिक कोयला खनन के कारण होता है विडंबना देखिये विकास कार्यों के लिए पूरा पूर्वोतर भारत तरस रहा है लेकिन अवैध खनन यहां भी नही रुका !चेरापूंजी एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है पूरे पूर्वोतर भारत में जब आप चेरापूंजी में प्रवेश कर रहे होतें हैं तो यहाँ पर एक बोर्ड लगा हुआ है जिस पैर लिखा है “पृथ्वी ग्रह पर सबसे नम जगह”जी हां नम जगह जरूर है परन्तु नम के अतिरिक भी बहुत कुछ है इस स्थान पर ब्रिटिश प्रशासक डेविड स्कॉट का स्मारक भी है भारत पर बिर्टिश शासन के अत्याच्राओं के बाबजूद भारत के राज्यों में स्मारक लगे हुए हैं .भारत के इस राज्य को सुंदर दृश्यों ,कोहरे के लिए स्कॉटलैंड से भी तुलना की जाती है .पक्षियों की चहचाहट से लेकर शेर की दहाड़ आपको यहां के जंगलों में सुनाई देगी दरअसल भारत के इस क्षेत्र से ही वन्य जीवन बचा हुआ है तो यह कहना को अतिशयोक्ति नही होगी क्योंकि आज के विनिर्माण युग में भारत के मुख्य सहारों जिस तरह से वनों का अधाधुंध कटान हो रहा है उससे पशु पक्षियों की रहने की जगह इस इलाके में महफूज है !मेघालय विभिन्न गुफाओं के लिए भी जाना जाता है और उनमे से भी चूना पत्थर की गुफाएँ अत्यधिक है ! हालाँकि जैव बिविधता के लिए चिंता की बात यह है की इस राज्य में अभी भी झूम खेती चल रही है यह बेहद बड़ा खतरा है जैव बिविधता के लिए प्रदेश की जनता को सरकार द्वारा जागरूक किया जाना चाइए ,भारत के अन्य राज्यों की तरह इस राज्य के लोग भी अपनी जीविका के लिए खेती पर निर्भर है और यह वन्य जीवन के लिए तो खतरा है ही .
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