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भारत के संवेदनशील राज्यों में से असम सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है ,वर्षो से चली आ रही हिंसा से राज्य में तथाकतिथ स्व राष्ट्रवादी तत्वों और यदि सामन्य भाषा में कहा जाये तो अलगाववादी तत्वों ने अपने कुहितो के लिए निर्दोष लोगों की असामयिक ज़िन्दगी ले ली लेकिन हकीक़त से कोई मुह नहीं मोड़ सकता की इन अलगाववादी तत्वों को पनाह कुछ अन्दर के विद्रोहियों से मिली है १९७० से शुरु हुए इस कुचक्र ने न जाने कितना नुकसान किया है बोडो राष्ट्रवादी आंदोलन ने इस बेहद खूबसूरत राज्य को अपूर्ण क्षति पहुंचाई है !१९७९ में असम को एक संप्रभु राष्ट्र बनाने के लिए उल्फा का गठन हुआ लेकिन असल में केवल एक समुदाय को मजबूत करके अपनी इच्छाओं की पूर्ती करना इस का उद्देशय था असम में उग्रवाद का एक प्रमुख कारण बांग्लादेश ,भूटान से इसकी सीमाओं का लगना है ! सैन्य टुकडियों ,पुलिस थानों पे हमला करना उल्फा की मुख्य विशेषता बन चुकी थी लेकिन इसके पश्चात १९८६ में राष्ट्रीय लोकतंत्रीय बोडोलैंड फ्रट(N.D.F.B) का गठन हुआ और राज्य में हिंसा अपने चरम पर पंहुच गयी ध्यान रहे की यह संगठन एक क्रिस्चियन बहुल सगठन है जिसक उद्देश्य बोडो लोगों के लिए एक स्वंत्र राज्य बनाना था हालांकि रोचक तथ्य देखिये इसका मुखिया खुद कारबी परिवार में पैदा हुआ था (सोंग्बिजित) इन संगठनो जिस तरह इस राज्य को नुकसान पहुँचाया और इस सब की आड़ में राज्य में मानवाधिकरों का हनन अपने चरम पर था .और इस संगठन ने तो उन लोगों पर जुर्म ढाए जिनके पूर्वज यहाँ बिर्टिश औपनिवेशिक शासन में चाय के बागों में मजदूरी के लिए लाये गये थे मुंडा ,संथल आदि अब इस संगठन की हीण मानसिकता का पता लगाया जा सकता है !1996 के असम विधानसभा चुनावों आदिवासीयों पर हमले को लेकर N.D .F B के खिलाफ आदिवासी कोबरा बल का जन्म हो गया हालांकि इनका मानना था की यह केवल अपनी सुरक्षा के लिए बनाया गया है न की अलगाववादी विचारधारा को लेकर !N.D .F B ने बंगाली मुस्लिमों पर हमले किये तुम असम में कैसे आ गये यह तो बोडो का देश है ? 2001 में भारत सरकार के साथ अनुबंध के तहत यह सगंठन शांत रहा इस तरह से यूनाइटेड पीपल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी 1999 में एक और सगंठन ने जन्म ले लिया कारबी लोंगरी एन .सी हिल्स मुक्ति संगठन ,दिमा हलम दओग जैसे संगठनों ने जन्म ले लिया लेकिन लघभग सभी की विचारधारा अलग होने की है इन सब के साथ ही एक संगठन एक अनोखी सोच लेके अस्तित्व में आया कामतापुर मुक्ति संगठन इस संगठन का लक्ष्य कामतापुर को एक अलग राज्य बनाना है ६ जिले पश्चिम बंगाल से व् ४ जिले असम से लेकिन यह बात बेहद सोचनीय है की कैसे असम को अलग किया जा सकता है ? किसी का लक्ष्य केवल बोडो समुदाय को खुश रखना है तो किसीको केवल क्षेत्र के सरंक्ष्ण से मतलब है लेकिन इन अलगवावादी तत्वों को यदि एक तरफ रखकर देखा जाये तो २०१४ के चुनावों ने ये बात एक बार फिर साबित कर दी कि पूर्वोतर को जनता भारतीय लोकतंत्र पर अटूट भरोसा है .
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