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जवाहरलाल नेहरु छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार जीवन के उस पड़ाव पे हैं जहां उनसे एक जिम्मेदार व्यवहार कुशल एंव एक उभरते हुए छात्र की उम्मीद की जाती है लेकिन जिस तरह से उन्होंने बिना कोई तथ्य प्रस्तुत करते हुए भारतीय फौज पे इल्जाम जड़ दिए उससे पता चलता है कि उनका मानसिक विकास शारीरिक विकास की तुलना में पिछड़ गया है कश्मीर में मानवधिकारों की स्थित्ति जिस तरह भी हो भारतीय फौज ने आजादी के बाद से अपना कार्य हिमालय की तरह डट कद किया है दिल्ली से भाषण देना उतना ही आसान है जितना कठिन पे पहुँचना है वहां रहने की बात तो आप छोड़ ही दीजिये जरा सोचिये हन्मनथपा जैसे बहादुर सिपाहियों की आत्मा कि कष्ट से गुजर रही होगी जिन्होंने अपने राष्ट्र् के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी सिताराम येचुरी आपातकाल के दौरान गिरफ्तार हुए थे और उसके पश्चात उनका राजनीतिक सफर शुरु हुआ कन्हैया कुमार भी उन्हीं के पीछे जा रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय मीडिया का रवैया हैरान करने वाला है गलत शब्दों का प्रयोग और कन्हैया को राष्ट्र भक्त के तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है जैसे की अब कन्हैया हमारे राष्ट्र को विश्व के मानचित्र पर प्रमुख स्थान दे सकता है ऐसे बेहुदा बातों को प्रमुखता देना हमारे राष्ट्रीय मीडिया की मानसिकता को दिखातें हैं आज कल अमेरिकी राष्ट्रपति की दौड़ के लिए खींचतान चल रही है लेकिन कन्हैया की खबरों के बीच डोनाल्ड ट्रम्प के विवादित बोल कहीं गुम से हो गए हैं.आप को याद होगा 2011 में असीम त्रिवेदी नाम के मुम्बई के व्यक्ति को देश द्रोह के आरोप मैं गिरफ्तार किया गया था उन पर संसद को शौचालय की तरह पर्दशित करने व राष्ट्रीय चिन्हं को गलत तरीके से दिखाने के आरोप थे तब राज्य व केंद्र दोंक जगह कांग्रेस की सरकार थी और विपक्ष ने उस फैसले से सहमत था लेकिन 5 वर्षों में राष्ट्रीय राजनीति में काफी परिवर्तन आया है और दुर्भाग्यवश विपक्षी दलों का कार्य संसद बाधित करने से लेकर ऐसे कुवचनो व देश द्रोह के आरोप झेल रहे इंसान को राष्ट्रीय पहचान के तौर पर सहायता दी जा रही हैं राजनीतिक दलों को राजनीति को एक तरफ रख कर अभिव्यकित की आजादी के बहाने राष्ट्रीय फौज व बिना सबूतों के बेहुदा नारों को हटा के देश द्रोही तत्वों पर कार्यवाही करनी चाहिए और इस राष्ट्र को मजबूती प्रदान करनी चाहिए।
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